शुक्रवार, 10 जून 2011

विदेश में पढ़ाई अब आसान

पढाई.. वो भी विदेश में क्या कहने?  आज कल युवाओं में विदेश में पढाई का क्रेज बढ़ा है, एजुकेशनल कंसल्टेंट की माने तो आजकल देश या विदेश कहीं भी पढ़ी का खर्चा लगभग बराबर आता है, इसी लिए मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और हास्पिलिटी जैसे क्षेत्रों में विदेशों की ओर रुझान बढ़ा है. इसके लिए बाकायदा एजुकेशन लोन के साथ कंसल्टेंसी सभी कोर्सों की जानकारी के साथ एडमिसन और वीसा भी तैयार करवा देती है, इसके अलावा कुछ एजेंसी तो पार्ट टाइम जाब का भी इंतजाम करवा देती हैं. पहले महानगरों का ये शगल अब छोटे शहरों की ओर बढ़ रहा है, हायर स्टडी के लिए छोटे शहरों और गावों से भी छात्र जा रहे हैं. कहाँ क्या क्रेजी है देखिये? 


यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड- मैनेजमेंट, हॉस्पिटेलिटी एंड टूरिज्म, लाइफसाइंस, इंजीनियरिंग, आईटी, हेल्थ, फॉर्मेसी। 
सिंगापुर- हॉस्पिटेलिटी, बिजनेस मैनेजमेंट, एनिमेशन, पर्सनल सर्विस केयर। 
केनेडा- इंजीनियरिंग,आईटी,मैनेजमेंट, लाइफसाइंस हॉस्पिटेलिटी। 
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका- आईटी, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट,लाइफसाइंस, हॉस्पिटेलिटी। 
ऑस्ट्रेलिया- आईटी, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लाइफसाइंस, हॉस्पिटेलिटी। 
इसके अलावा फ्रांस, यूरोपियन देशों, मलेशिया और दुबई में भी स्टूडेंट्स का रुझान है, जिनका नंबर स्टूडेंट्स की पसंद के मामले में इन 6 देशों के बाद आता है।
इस बारे मैं ज्यादा जानकारी के लिए मेल करें: mantraedu@hotmail.com  

(सुषमा पाण्डेय)

गायब हो रही है सोन चिरैया


दुनिया की सबसे वज़नदार पक्षियों में से एक सोन चिरैया की प्रजाति लुप्त होने की कगार पर हैसोन चिरैया एक मीटर उंची होती है और इसका वज़न 15 किलोग्राम होता है. इंटरनेश्नल यूनियन फ़ॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर का कहना है कि अब केवल 250 सोन चिरैया ही बची हैं. इंटरनेश्नल यूनियन फ़ॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर यानि आईयूसीएन द्वारा जारी की गई पक्षियों की ‘रेड लिस्ट’ में कहा गया है कि लुप्त होने वाले पक्षियों की तादाद अब 1,253 हो गई है, जिसका मतलब है कि पक्षियों की सभी प्रजातियों में से 13 प्रतिशत के लुप्त हो जाने का ख़तरा है. 2011 के आईयूसीएन अंक में विश्व की पक्षियों की प्रजातियों की बदलती संभावनाओं और स्थिति का आकलन किया गया है. आईयूसीएन के वैश्विक प्रजाति योजना के उप निदेशक ज़ॉ क्रिस्टॉफ़ वाई ने कहा, “एक साल के अंतराल में पक्षियों की 13 प्रजातियां दुर्लभ वर्ग में शामिल हो गई हैं.” विश्व भर में पक्षियों की 189 प्रजातियों को गंभीर रूप से विलुप्त हो चुकी है, जिसमें सोन चिरैया भी शामिल है. सोन चिरैया को कभी भारत और पाकिस्तान की घासभूमि में पाया जाता था, लेकिन अब इसे केवल एकांत भरे क्षेत्रों में देखा जाता है. आख़िरी बार राजस्थान में इस अनोखे पक्षी का गढ़ माना गया था.
(सुषमा पाण्डेय)

अब खात्मा होगा एड्स का

अमरीका में वैज्ञानिक एचआईवी का नया इलाज विकसित कर रहे हैं, जिससे एड्स वायरस को पूरी तरह शरीर से समाप्त किया जा सकेगा. अभी एचआईवी का इलाज एंटी रेट्रोवायरल दवाएँ हैं. लेकिन ये दवा काफ़ी महंगी है और मरीज़ को ये दवाएँ आजीवन लेनी होती है. अब शोधकर्ता एचआईवी के स्थायी समाधान का रास्ता तलाश रहे हैं. पिछले 30 वर्षों में एचआईवी के इलाज की दिशा में काफ़ी प्रगति हुई है. एंटी रेट्रोवायरल दवाओं से मरीज़ में ये वायरस उस स्तर तक दबाए जा सकते हैं, जहाँ से इनका पता तक नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन समस्या ये है कि दवाएँ बंद करने की सूरत में ये वायरस फिर आ सकते हैं. अब शोधकर्ता इस वायरस को शरीर से पूरी तरह निकालने पर काम कर रहे हैं. कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जेरोम ज़ैक का कहना है कि अब इस पर काम किया जा रहा है कि इन वायरसों को उकसा कर इनके छिपने वाले स्थान से निकाला जाए और फिर इन्हें ख़त्म किया जाए. उन्होंने कहा कि अभी इस पर प्रयोग चल रहा है और दुनिया के कई प्रयोगशालाओं में इस पर काम चल रहा है. हालाँकि जानकारों का मानना है कि इस शोध में किसी निष्कर्ष तक पहुँचने में वर्षों लग सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा हो जाय तो एड्स की विभीषिका काफी कम हो जायेगी. 
(ज्ञानपुंज टीम)